कण्वाश्रम है : सुन्दर पर्यटन स्थल

      सफरनामा:   कण्वाश्रम : ०७१०१९


       'कण्वाश्रम' ,  कोटद्वार शहर से 14 कि.मी. की दूरी पर स्थित है  । 'कण्वाश्रम' ऐतिहासिक तथा पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण पर्यटन भी स्थल है । कण्वाश्रम के बारे में यह माना जाता है कि :-


   


               कण्वाश्रम कण्व ऋषि का वही आश्रम है जहां हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त तथा शकुन्तला के प्रणय के पश्चात "भरत" का जन्म हुआ था, कालान्तर में  शकुन्तला पुत्र भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। शकुन्तला, ऋषि विश्वामित्र व अप्सरा मेनका की पुत्री थी । यहां पर एक मंदिर में कण्व ऋषि,कश्यप ऋषि, राजा दुष्यन्त, शकुन्तला, भरत की मूर्तियां विराजमान हैं । 


 


  हर वर्ष बसंत पंचमी के अवसर पर कण्वाश्रम में तीन दिन तक मेला चलता है । 


     कण्वाश्रम : मनमोहक अविकसित पर्यटक स्थल


      कण्वाश्रम के पर्यटन के संदर्भ मे राज्य सरकार के दावे खोकले व निराशाजनक हैं । भूले भटके जो पर्यटक ऐतिहासिक दृष्टि से यहां आता है वह निराश होकर जाता है । जबकि इस स्थान को पर्यटन के आधार पर बहुत अच्छे ढंग से विकसित किया जा सकता है । यह स्थल मालन नदी के तट पर, हरे भरे पहाड़ों के बीच, व आवादी के निकटतम दूरी पर है  । फिर भी इस जगह के साथ नाइंसाफी हो रही है ।


 


 राज्य सरकार नये- नये पर्यटन स्थल विकसित करने की बड़े- बड़े दावे करती है । लेकिन राज्य सरकार के पर्यटन विभाग ने पौडी गढ़वाल के " द्वार " कोटद्वार के निकटतम पर्यटन स्थल  "कण्वाश्रम"  जैसे ऐतिहासिक जगह की अनदेखी कर विकास से वंचित कर रखा है । और देश- विदेश के पर्यटक एक  ऐतिहासिक , मनमोहक, रमणीक पर्यटन स्थल का आनंद लेने  से चूक जाते हैं ।