हिंदू धर्म में बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का बड़ा महत्व है। इन सभी से शिव की रोचक कथाएं जुड़ी हुई हैं।
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ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुए ।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन परिपूर्ण होने के बाद ज्योतिर्लिंगों के संदर्भ में संक्षिप्त जानकारी निम्नवत है।
1 - श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग :
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श्री केदारनाथ मन्दिर उत्तराखंड के हिमालय पर्वतमाला में स्थित है। श्री केदारनाथ एक ऐसा तीर्थ है , जिसकी मान्यता बारह ज्योतिर्लिंग और " उत्तराखंड के चारधाम " में होती है। यहाँ जाकर शिवजी के दर्शन करना किसी सौभाग्य से कम नहीं है। यह मंदिर काफी उंचाई पर बना है ।
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दर्शन : दिनांक : वर्ष 1990 -95 एवं 10 अक्टूबर 2020
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2 - त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग :
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जिले में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है । काले पत्थरों से बना यह मंदिर देखने में बेहद सुंदर नज़र आता है। मंदिर की नक्काशी भी अति सुंदर है।
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दर्शन : दिनांक : 08 मार्च 2018
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3 . श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग :
साउंड एंड लाइट शो :
मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है।
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मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है। उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है। इस स्तम्भ को 'बाणस्तम्भ' कहते हैं।
दर्शन : दिनांक : 13-14. दिसम्बर 2018
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4 - नागेश्वर ज्योतिर्लिंग :
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गर्भगृह में पुरुष भक्त सिर्फ धोती पहन कर ही प्रवेश कर सकते हैं, यदि उन्हें अभिषेक करवाना है । मंदिर परिसर में भगवान शिव की पद्मासन मुद्रा में एक विशालकाय और बहुत सुन्दर मूर्ति है ।
दर्शन : दिनांक : 14 दिसम्बर 2018
दर्शन : दिनांक : 14 दिसम्बर 2018
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5 - श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग :
रामेश्वरम मंदिर, को रामनाथस्वामी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है । यह मंदिर भारतीय निर्माण-कला और शिल्पकला का एक सुंदर नमूना है । इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु यात्रा करने आते है और ईश्वर का आर्शीवाद लेते है।
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दर्शन : दिनांक : 28 जनवरी 2019
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6 - काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग :
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कहा जाता है कि प्रलयकाल में भी इसका लोप नहीं होता। उस समय भगवान शंकर इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने के लिए तपस्या की । और फिर उनके शयन करने पर उनके नाभि-कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए, जिन्होने सृष्टि की रचना की है ।
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भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है। काशी विश्वनाथ में दर्शन से पहले भैरव के दर्शन करना होते हैं तभी दर्शन का महत्व माना जाता है।
दर्शन : दिनांक : 07 फरवरी 2019
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ऐसी मान्यता है कि वाराणसी या काशी में मनुष्य के देहावसान पर स्वयं महादेव उसे मुक्तिदायक तारक मंत्र का उपदेश करते हैं। इसीलिए अधिकतर लोग यहां काशी में अपने जीवन का अंतिम वक्त बीताने के लिए आते हैं और मरने तक यहीं रहते हैं। इसके लिए काशी में पर्याप्त व्यव्था की गई है। यह शहर सप्तमोक्षदायिनी नगरी में एक है।
7- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग :
दक्षिण भारतीय शैली में बना घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर 44,400 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे लाल रंग के पत्थरों से बनाया गया है। घृष्णेश्वर मंदिर में तीन द्वार बने है, एक महाद्वार और दो पक्षद्वार। सभा मंड़प 24 पत्थर के स्तंभों पर बना है, इन स्तंभों पर जटिल नक्काशी की गई है। मंदिर के परिसर में लाल पत्थर की दीवारें पर भगवान विष्णु के दशावतार के द्रश्य को दर्शाया गया है और कई देवी देवताओं की मूर्तियाँ उकेरी गई हैं।
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दर्शन : दिनांक : 15 जनवरी 2020
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8 - भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग :
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अधिकतर मंदिरों तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ चढ कर जाना होता है, परंतु श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर तक पहुँचने के लिए 250 के आस-पास सीढ़ियों को उतरना पड़ता है।
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मंदिर के गर्भग्रह के सामने नंदी महाराज एवं कच्छप देव विराजमान हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर बाईं ओर भगवान गणेश की मूर्ति है और दाईं ओर श्री कालभैरव की मूर्ति है। शिवलिंग में एक ऊर्ध्वाधर छेद है। मंदिर के सामने की ओर देवी पार्वती की मूर्ति है।
दर्शन : दिनांक : 18 जनवरी 2020
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9 - मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग :
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श्रीशैलम् आंध्रप्रदेश |
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दर्शन : दिनांक : 20 अक्टूबर 2021
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श्रीशैलम हैदराबाद से 254 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां
मन्दिर तक पहुंचने के लिए घने जंगलों के बीच होकर सड़क मार्ग द्वारा जाया जाता है। रास्ते में शैल बांध से 290 मीटर की ऊंचाई से गिरते प्रबल जलावेग भी नज़र आता है।
10- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग :
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मन्दिर में भगवान शिव 'महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग' के रूप में विराजमान हैं। गर्भगृह में नंदी दीप सदैव प्रज्वलित होता रहता है। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नंदी की प्रतिमा विराजित है।
महाकालेश्वर मन्दिर 3 खंडों में विभाजित है। निचले खंड में श्री महाकालेश्वर, मध्य खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर स्थित है। नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन वर्ष में एक बार नागपंचमी के दिन ही करने दिए जाते हैं। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड है।
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दर्शन : दिनांक : 24 नवम्बर 2021
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11- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग :
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ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग –
अमलेश्वर भी ज्योतिर्लिंग है ( अमलेश्वर को ही ममलेश्वर कहा जाता है ) यह मंदिर नर्मदा के दक्षिण तट पर विष्णुपुरी में है।
पहले ओंकारेश्वर के दर्शन करने का नियम है और लौटते समय ममलेश्वर के दर्शन करने का नियम है। ममलेश्वर मंदिर प्राचीन वास्तुकला एंव शिल्पकला का अदभुत नमूना है।
दर्शन : दिनांक : 25 नवम्बर 2021
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12 - वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग :
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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखण्ड राज्य के देवघर शहर में स्थित है। |
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दर्शन : दिनांक : 10-12 अगस्त 2022
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बाबा बैद्यनाथ यहां आने वाले की सभी श्रद्धालुओं मनोकामनाएं पूरी करते हैं । इसलिए इस शिवलिंग को 'कामना लिंग' भी कहते हैं ।
सारांश :
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के मंदिर सनातन धर्म के बहुत ही पवित्र मंदिर है। इन मन्दिरों में भक्तो का तांता लगा रहता है । दूर दूर से लोग पावन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने आया करते हैं। और अपने ईष्ट के दर्शन करके धन्य हो जाते है ।
हर सफरनामा किसी अपेक्षा से प्रारंभ होता है!
और कोई ना कोई अनुभव के साथ समाप्त होता है!!
भारत एक खूबसूरत राज्यों से सजा एक ऐसा देश है जिसकी अनेकों बोलियां और उसकी अलग अलग अपनी ही परम्पराएं हैं। इसी तरह पहाड़ हो या समतल क्षेत्र, सभी की अपनी अपनी खूबसूरत कथायें भी हैं और ऐसी ही, ना जाने कितनी सारी खूबसूरत जगहें हैं। जहां सभी का अपना अपना रोचक इतिहास भी मौजूद है।
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